RAKHI Saroj

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लेखनी प्रतियोगिता -21-Dec-2022

अक्सर मेरे ज़हन में एक सवाल आता है 


अक्सर मेरे ज़हन में एक सवाल आता है 
क्या मोहब्बत ‌‌‌‌‌‌‌‌भी हिसाब से होती हैं
जिंदगी की हर राह में उसकी भी‌ कीमत लगती‌ है ‌  
अक्सर मेरे ज़हन में एक सवाल आता है 
क्यूं मोहब्बत की‌ भी सीमा बन जाती है
कभी ‌‌‌‌‌‌‌‌‌धर्म-जाति, तो कभी पैसे की डोर बांधे 
एक नई उम्मीद में एक राह खोज अक्सर चला जाता है
अक्सर मेरे ज़हन में एक सवाल आता है 
क्यों ‌‌‌‌एक की मोहब्बत कुर्बान होती है किसी 
और के‌ बेवफ़ा हो जाने पर, जब‌ दिल में कोई 
ओर हो तब वाहों में किसी ओर को थामें रखना
अक्सर मेरे ज़हन में एक सवाल आता है 
क्यों लगती है मोहब्बत पर भी एक्सपायरी डेट
जब मोहब्बत वे हिसाब होती है। 
अक्सर मेरे ज़हन में एक सवाल आता है 
बस लवों के‌ पास नहीं रहा पाता है।
       राखी सरोज 

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8 Comments

Sachin dev

21-Dec-2022 04:56 PM

Well done

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RAKHI Saroj

22-Dec-2022 08:20 AM

Thank you

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Gunjan Kamal

21-Dec-2022 11:28 AM

बहुत ही सुन्दर

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RAKHI Saroj

22-Dec-2022 08:21 AM

धन्यवाद

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Punam verma

21-Dec-2022 09:32 AM

Very nice

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RAKHI Saroj

21-Dec-2022 10:27 AM

Thank you

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